मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

जानिये दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले संक्षिप्त नाम के विस्तृत भाव

दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली महत्वपूर्ण शब्दों के विस्तृत भाव!
प्रायः हमें कई ऐसे शब्द अपने आस पास सुनने को मिलते है जिसमे जो कई सारे अलग अलग शब्दों के समूह के लिए उपयोग में लाया जाता है। हमारे हिन्दू धर्म के अनुशार ऐसे ही कुछ प्रमुख शब्दों के विस्तृत भावो को यहाँ बताया गया है यथा:-
तीन शारीर - सूक्ष्म, स्थूल, कारण।
तीन नाड़ी - ईडा, पिंगला, सुषुम्ना।
चार अवस्था - जागृत, स्वप्न, सुसुप्ति, तुरीय।
पंचभुत - पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, आकाश।
चार आश्रम - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास।
पंच विषय - गंध, रूप, रास, स्पर्श, शब्द।
पंच ज्ञानइंद्री - नाक, आँख, जीभ, त्वचा, कान।
पंच कर्मइंद्री - वाणी, हाथ, पैर, लिंग, गुदा।
पंच अंतःकरण - स्फुरण, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार।
पंचदेव - गणेश, सूर्य, शिव, विष्णु, दुर्गा।
पंचकन्या - अहिल्या, कुन्ती, तारा, द्रोपदी, मंदोदरी।
पंचगंध - केसर, कस्तूरी, चन्दन, गोरोचन, कपूर।
पंचगंगा - गंगा, यमुना, सरस्वती, किरणा, धूतपापा।
पंचोपचार - गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य ।
पंचपल्लव - आम, पीपल, डुमेर, पाकर, वट।
पंचामृत - दूध, दही, घी, मधु, चीनी।
पंचगव्य - दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र।
पंचप्राण - प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।
पंचकोश - अन्न, प्राण, मन, विज्ञान, आनंद।
पंचभाव - शान्त, दास्य, सख्य, वात्सल्य, मधुर।
छः ऋतू - बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, हेमन्त, शरद, शिशिर।
सप्त धान्य - गेहूँ, तिल, जौ, धान, कंगु, चना, सामक।
सप्त मृत्तिका - घुड़शाल, हाथीशाल, दीमक, नंदीसँगम, तालाब, राजद्वार, गौशाला।
सप्त पुरी - काशी, मथुरा, अवन्तिका, माया, अयोध्या, द्वारिका, कांची।
नवग्रह समिधा - आक, पलास, खैर, पीपल, डुमेर, समी, अपामार्ग , दुब, कुश।



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