शनिवार, 15 अक्तूबर 2016

जानिये श्री कृष्ण को बंसी किसने दी?

जानिये श्रीकृष्ण को बंसी किसने दी ?

भगवान् श्री कृष्ण को बांसुरी मिलने संबंधी दो कथाए प्रचलित है जिनमे एक भगवान् शिव के द्वारा बंसी का दिया जाना है और दूसरा बबूल के् वृक्ष से जुडी कथाए प्रचलित है।


द्वापर में जब भगवान् श्रीकृष्ण ने अवतार लिया तब सारे देवी देवता विभिन्न रूपो में उनकी सेवा के लिए अवतार धारण किये। भगवान् शंकर को भी लगा की अपने प्रभु को कुछ ऐसा भेंट देना चाहिए जिसे वे हमेशा अपने पास रखे। तब शिव् जी ने अपने पास रक्खा हुआ महाशक्तिशाली हड्डी जो दधीचि मुनि के शरीर का था उस से बंसी निर्माण की बात सोची।


ये वही दधीचि मुनि है जो देवताओ के आग्रह पर अपने शरीर का त्याग किये थे और अपनी हड्डियां देवताओ को दान किये थे और उन हड्डियों से तीन धनुष शारंग, पिनाक और गांडीव तथा एक बज्र का निर्माण कराया गया था।


भगवान् शिव ने उन हड्डियों को घिस कर एक सुन्दर और मनोरम बंसी का निर्माण किया। जब प्रभु गोकुल में अपनी बाल लीलाए कर रहे थे तब जा कर उनको भेंट की थी।


बांसुरी भगवान् के अधरों से लगते ही सातो स्वर से गुंजायमान हो गई। श्री कृष्ण उस बंशी को शिव प्रशाद स्वरुप जब तक धरा धाम में लीला किये अपने समीप ही रक्खा।


भगवान् के सबसे निकट होने के कारण गोपियाँ भी बंसी से ईर्ष्या करती थी।

श्री कृष्ण गौचारन के समय भी बंसी बजाय करते थे।

श्री कृष्ण ने जब महारास किया तब भी उन्होंने अपने कामबीज नामक बंसी पर तान छेड कर गोपियों को महारास के लिए आमंत्रित किया था।

बंसी श्री कृष्ण के अंतरंग थी और वो उसे कभी अपने से अलग नहीं करते थे।


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