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गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

जाने दीपावली का पौराणिक महत्त्व क्या है ?

जाने दीपावली का पौराणिक महत्त्व क्या है ?



दीपावली का शाब्दिक अर्थ?
दीपावली हिंदी के दो शब्द दीप और आवली के संधि से बना है जिसका अर्थ होता है दीपो की माला। दीपावली हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक अमावस्या को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार 5 दिनों का होता है जिसमे पाँचो दिनों का अपना अलग अलग महत्व है। दीपावली के पूर्व त्यौहार की तैयारियॉ प्रारम्भ कर दी जाती है। घर की साफ़-सफाई लिपाई-पोताई की जाती है। बाजार सजने लगते है और कई तरह के साज सज्जा के सामान मिठाइयो कपड़ो की दूकान आदि सजने लगते है।

दीपावली के पांच दिन:-
1 धन तेरस
2 नरका चौदस
3 दीपावली
4 गोवर्धन पूजन
5 भाई दूज


दीपावली त्यौहार मनाने के सम्बन्ध में कई कथाये प्रचलित है जिनमे कुछ प्रमुख कथाओ को संक्षेप में यहाँ वर्णन किया जा रहा है:-

1 रामायण काल में 14 वर्ष के वनवास के बाद आज के दिन श्रीराम चंद्र जी माता सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ आतातायी रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे थे। उनके आने की खुसी में अयोध्या में अयोध्यावासी हर्षोल्लास के साथ दीपक जला कर उनका स्वागत किये। कहा जाता है की दीपक की लव से अमावस्या की काली रात्रि में  पूर्णिमा की रात्रि के भाँती जगमग उठी थी। तब से उस दिन की ख़ुशी में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

2 वामन अवतार के समय आज के ही दिन देवताओ के शोक निवारण के लिए भगवान् ने बलि से तीन पग भूमि का दान माँगा था और देवताओ को उनके स्वर्ग का सिंघासन वापस दिलाया था तब से देवताओ के द्वारा इस दिन को मनाया जाता है।

3 द्वापर में कहा जाता है की भगवान् श्री कृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन नरकासुर नामक दैत्य का वध किये थे और अमावस्या को जब द्वारिका वापस आए तब  द्वारिकावासियो ने उनका डीप जलाकर स्वागत किया था।

4 समुद्र मंथन के समय कहा जाता है की आज के ही दिन माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी अतः उनके जन्मोत्सव स्वरुप आज के दिन दीपक जला कर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

5 आज के दिन कहा जाता है की सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक किया गया था।

6 एक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में दीवाली के दिन ही पांडव अपना 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास पूर्ण करके वापस अपनी राजधानी इंद्रप्रस्थ आय थे तब वहा की जनता ने उनका स्वागत दीप मालाओ के साथ किया था तब से ये त्यौहार मनाया जाता है।

इस प्रकार विभिन्न मत-मतान्तरों को मानने वाले लोग अपने अपने मान्यता के अनुसार दीपावली को मनाते है। आज के दिन लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है।

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