एक बार की बात है शिवजी मृत्युलोक में विचरण कर रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि कुछ लोग एक मरे हुए इंसान को शमसान की तरफ ले जा रहे थे और 'राम नाम सत्य है' का उच्चारण कर रहे थे। अब हमारे शिवजी को राम नाम परम प्रिय है, तो शिवजी भी उनके साथ समसान को जाने लगे।
शमसान पहुचने के बाद उन्होंने देखा की सभी लोग अंतिम संस्कार करके अपने घरो को जाने लगे पर जाते समय कोई भी 'राम नाम सत्य है' का उच्चारण नहीं कर रहा था। शिवजी ने विविध रूप धारण कर उन सभी के साथ उनके घर तक गए पर कोई भी व्यक्ति राम नाम नहीं ले रहा है।
तब शिवजी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि उस मुर्दे को ले जाते समय सभी राम नाम ले रहे थे पर उसके पञ्च तत्व में विलीन होने के बाद कोई राम नाम नहीं ले रहा है। शिवजी ने विचार किया कि कही न कही उस मुर्दे में ही कोई विशेषता रही होगी कि लोग राम नाम ले रहे थे।
शिवजी पुनः शमसान पहुच गए और देखा तो वहा उस मुर्दे के जल जाने के बाद केवल उसकी राख बची हुई थी, सो उस मुर्दे को परम राम भक्त मान कर उसके चिताभस्म को अपने शरीर में धारण कर लिए। इस प्रकार शिवजी को राम नाम के साथ शमसान तक जाने वाले शरीर के चिता भस्म प्रिय है।
शमसान पहुचने के बाद उन्होंने देखा की सभी लोग अंतिम संस्कार करके अपने घरो को जाने लगे पर जाते समय कोई भी 'राम नाम सत्य है' का उच्चारण नहीं कर रहा था। शिवजी ने विविध रूप धारण कर उन सभी के साथ उनके घर तक गए पर कोई भी व्यक्ति राम नाम नहीं ले रहा है।
तब शिवजी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि उस मुर्दे को ले जाते समय सभी राम नाम ले रहे थे पर उसके पञ्च तत्व में विलीन होने के बाद कोई राम नाम नहीं ले रहा है। शिवजी ने विचार किया कि कही न कही उस मुर्दे में ही कोई विशेषता रही होगी कि लोग राम नाम ले रहे थे।
शिवजी पुनः शमसान पहुच गए और देखा तो वहा उस मुर्दे के जल जाने के बाद केवल उसकी राख बची हुई थी, सो उस मुर्दे को परम राम भक्त मान कर उसके चिताभस्म को अपने शरीर में धारण कर लिए। इस प्रकार शिवजी को राम नाम के साथ शमसान तक जाने वाले शरीर के चिता भस्म प्रिय है।
Bahut acha lekh hai chaubeyji.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
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