व्यसन दो प्रकार का होता है-
1) कामज व्यसन:- काम जनित व्यसनों को कामज व्यसन कहते है। इनमे मुख्यतः 10 प्रकार के काम निहित होते है:-
1 जुआ
2 मृगया
3 दिवास्वप्न
4 निन्दा
5 व्यभिचार
6 मदिरापान
7 नृत्य
8 गीत
9 झूठ
10 हवाखोरी
1 जुआ
2 मृगया
3 दिवास्वप्न
4 निन्दा
5 व्यभिचार
6 मदिरापान
7 नृत्य
8 गीत
9 झूठ
10 हवाखोरी
2) क्रोधज व्यसन:-क्रोध जनित व्यसनों को क्रोधज व्यसन कहते है। इनके 8 लक्षण होते है।
1 चुगली
2 साहस
3 द्रोह
4 ईर्ष्या
5 असूया (गुणों में भी दोष दृष्टि)
6 दुसरो का धन छीन लेना
7 गाली गलौज
8 मारपीट करना
2 साहस
3 द्रोह
4 ईर्ष्या
5 असूया (गुणों में भी दोष दृष्टि)
6 दुसरो का धन छीन लेना
7 गाली गलौज
8 मारपीट करना
काम कोह मद मान न मोहा। लोभ न छोभ न राग न द्रोहा॥
जिन्ह कें कपट दंभ नहिं माया। तिन्ह कें हृदय बसहु रघुराया॥1॥
मानस में गोस्वामीजी ने श्री राम और महर्षि वाल्मीकि संवाद में कहा है की जिनका ह्रदय काम क्रोध मद् माद आत्सर्य अहंकार छल कपट आदि से मुक्त होता है उनके ह्रदय में ही श्रीरामचन्द्र भगवान् निवास करते है।
अतः अपना कल्याण कहने वाले मनुष्यो को इन कामज और क्रोधज व्यसनों से दूर रहकर आत्मकल्याण हेतु श्रीराम की निरंतर भक्ति करनी चाहिए।
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