शनिवार, 10 दिसंबर 2016

भगवान् धरती पर क्यों आते है?

गीताजी में भगवान् श्रीकृष्ण से अर्जुन ने पूछा था कि-आप जगत में क्यों आते है?
तब भगवान् ने ऐसा नहीं कहा की मै किसी को मुक्ति देने आता हूँ, या मै किसी को आनंद देने आता हूँ।

भगवान् ने कहा - धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे। अर्थात हे अर्जुन मुझे धर्म अतिशय प्रिय है और मै धर्म की रक्षा के लिए इस जगत में बार बार अवतार लेता हूँ।

श्री कृष्ण को सनातन धर्म अतिशय प्रिय है। जिस घर में धर्म होता है जहा धर्मोचित व्यवहार करते हुए लोग अपना जीवन यापन करते है भगवान् उसी के घर पर विराजमान होते है। जिनके घर में धर्म नहीं होता वहा भगवान् कदापि नहीं विराजते।

समाज में बहुत से लोग है जो पुस्तके पढ़ कर ब्रह्मज्ञान की बातें करते है परंतु धर्म का पालन नहीं करते। कितने ही लोग दुनिया को दिखाने के लिए भक्ति करते है कि मै भक्त हूँ, मैं वैष्णव हूँ परंतु धर्म का पालन नहीं करते। जिस ज्ञान में धर्म नहीं जिस भक्ति में धर्म नहीं होता वह वास्तव में धर्म विरुद्ध ज्ञान और धर्म विरुद्ध भक्ति हो जाता है और भगवान् उसे कभी स्वीकार नहीं करते।

आज लोगो को तिलक धारण करने में, चोटि रखने में, कंठी धारण में, धोती पहनने में, सर ढकने में शर्म आती है परंतु वही लोग व्यसनों को यथा शराब पीना जुआ खेलना सिगरेट पीना सिनेमा देखना अभद्र कपडे पहनना आसानी से स्वीकार कर लेते है और उसे एक तबके के लोग जीवन शैलि के रूप में देखते है।

पांडवो ने अति दुःख में भी धर्म का साथ नहीं छोड़ा इसीलिए भगवान् हमेशा पांडवो के साथ रहे। द्वारिका पूरी उस समय की सबसे सुन्दर स्थानों में से एक थी परंतु फिर भी भगवान् बार बार उसे छोड़ कर पांडवो के पास आते थे क्योकि पांडव धर्म के हिमायती थे अतः जहा धर्म होता है भगवान् को वहा आना ही पड़ता है।

अतः हमें अपने धर्म को कभी नहीं छोड़ना चाहिए, दुसरो के धर्म की नक़ल नहीं करना चाहिए और न ही दूसरे धर्म का तिरिस्कार करना चाहिए। सम्मान अपने धर्म का करो पर अपमान किस के धर्म का नहीं यही सनातन धर्म की विशेषता है।



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