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मंगलवार, 17 जनवरी 2017

मूर्ति कौन सी श्रेष्ठ है?

हम सामान्य तौर पर मंदिरो में अथवा घर में भगवान् के अनेक रूपो के मूर्तियो को देखते है। वे मूर्तियाँ बनाता कौन है? और उनमे प्राण-प्रतिष्ठा कौन करता है? यह दो बड़े ही महत्त्व पूर्ण प्रश्न है। 

जवाब स्पष्ट है की हम सांसारी ही मंदिरो के मूर्तियो का निर्माण करते है और हम ही उनमे अपने भाव से प्राण प्रतिष्ठा करते है।

दूसरे प्रकार की मूर्तियाँ होती है हम सभी जीव!! जिसकी रचना और प्राणप्रतिष्ठा दोनों भगवान् करते है। 

चिंतन का विषय यह है की हम अपने द्वारा निर्मित मूर्तियो में तो बहुत श्रद्धा दिखाते है पर भगवान् के द्वारा बनाय गए जीवंत मूर्तियो का आदर नहीं करते। ऐसे में हमें चिंतन करना चाहिए की हमारे द्वारा बनाई गई मूर्तियाँ श्रेष्ठ है अथवा भगवान् के द्वारा बनाई गई।

 हम यह नहीं कहते ही मंदिरो के भगवान् की मूर्तियो की पूजा न हो वरन हमारा कहना केवल यह है की हमें भगवान् के द्वारा बनाई गई समस्त चराचर में व्याप्त विभिन्न जीव जन्तु रूप मूर्तियो में भी अपने भगवान् का ही दर्शन करना चाहिए और सब का सम्मान करना चाहिए क्योकि:-

"हरी व्यापक सर्वत्र समाना"
"एकं खलमिदं ब्रह्म"
"सियराम मय सब जग जानी"

ऐसे अनेको बातें हमारे धर्म शास्त्रो में कही गई है जिसमें भगवान् की व्यापकता को सर्वत्र बताया गया है।



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