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शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

जब श्रीकृष्ण ने अग्निपान किया!!

श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार जब भगवान् श्रीकृष्ण कालिया मर्दन किये और उसके फन पर नृत्य करने उपरान्त वापस गोकुल वासियो के पास आय तब रात्रि हो गई और सारे गोकुलवासी श्रीकृष्ण के साथ वही कालीदह पर रात्रि विश्राम करने लगे।

जब सभी रात्रि विश्राम कर रहे थे तब अचानक जंगल में आग लग गई। अग्नि की विशाल लपटो को देख कर गोकुलवासि घबरा गए और इधर उधर भागने लगे। जब श्री कृष्ण ने यह देखा की सभी डरे हुए है तब उन्होंने सभी गोकुलवासियों को कहा की अपने नेत्र बंद कर लो। सभी ने अपने नेत्र बंद कर लिए। फिर भगवान् श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोला और अग्नि का पान कर लिए। 

श्रीकृष्ण ने अग्नि का पान ही क्यों किया कहते तो उसे लोप भी कर सकते थे अथवा जल बरसा कर भी उसे शांत कर सकते थे? 

भगवान् अग्निपान करके मानो बताना कहते है की अग्नि तो मेरे मुख से ही प्रकट हुई है और जहा से उसकी उत्पत्ति हुई वही हमने उसे लय कर दिया।

इस प्रकार श्रीकृष्ण ने गोप-ग्वालो के रक्षा करने के लिए कालीदह पर अग्निपान किया।

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