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बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

भगवान् की भक्ति बिना इंसान शूर्पणखा के सामान है!!

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवत भक्ति बिना जीवन को नीरस बनाते हुए कहा है:-

बुद्धि बड़ी, चतुराई बड़ी और सुंदरता तन में प्रकटी है।
मान बड़ो, धन धाम बड़ो, यश किराती हु जग में प्रगई है।।
झूमत द्वार गजेन्द्र हजार, सो इंद्रा हु से कछु न ही घाटी है।
तुलसी जगदीश की भक्ति बिना, जैसे सुन्दर नारी की नाक कटी है।।

तुलसीदासजी वर्णन करते है कि इस संसार में जो सबसे बड़ा बुद्धिमान व्यक्ति हो, सब से अधिक चतुर हो, तन की सुंदरता में श्रेष्ठ हो, सर्वत्र मान सम्मान व्याप्त हो, धन सम्पदा की कोई कमी न हो, जिसका यश कीर्ति बहुत हो, गजराज के समान हाजरो वाहन द्वार पर खड़े हो, और जिसका वैभव देवराज इंद्र के ही समान हो, ऐसा सर्व संपन्न जीव भी भगवान् की भक्ति के बिना उसी तरह कुरूप ( शोभाहीन या कान्तिहीन ) है जिस प्रकार एक दिव्य सुंदरी सूर्पणखा जो की सोलह श्रृंगार किये हुए हो पर उसकी नाक कटी हुई हो।

जीवन का वास्तविक सुख भगवत प्रेम और भगवत भक्ति में ही है। इंसान के पास संसार के सुख या वैभव हो या ना हो, पर भगवन्नाम का धन होना आवश्यक है क्योकि यही वास्तविक धन या सुख है

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