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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

कुश का प्रयोग पूजन आदि कर्मो में क्यों किया जाता है?

प्रायः हम देखते है की पूजन, हवन आदि कर्मो में कुश का प्रयोग किया जाता है। आइये जाने कुश की उत्पत्ति कैसे हुई और क्यों इसका उपयोग पूजन आदि कर्मो में किया जाने लगा।

पशुओ की एक प्रवृत्ति होती है की जब वे जल से स्नान करके बहार निकलते है तो अपने शरीर को जोर से झड़ाते है, ताकि उनके शरीर पर लगा हुआ जल झड़ जाय, और ऐसा करते समय उसके शरीर के बाल भी झड़ जाते है।

उसी प्रकार जब भगवान् श्रीहरि ने वाराह अवतार धारण किया तब हिरण्याक्ष का वध करने के बाद जब पृथ्वी को जल से बहार निकाले और अपने निर्धारित स्थान पर स्थापित किये उसके बाद वाराह भगवान् ने भी पशु प्रवृत्ति अनुसार अपने शरीर पर लगे जल को झड़ाया तब भगवान् वाराह के शरीर के रोम (बाल) पृथ्वी पर गिरा और कुश के रूप में बदल गया।

चूँकि कुश की उत्पत्ति स्वयं भगवान् के श्री अंगो से हुई अतः कुश को अत्यंत पवित्र माना गया। यही कारण है की किसी भी पूजन-पाठ, हवन-यज्ञ आदि कर्मो में कुश का प्रयोग किया जाता है।


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