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बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

शिव-नवरात्रि कब और कैसे मनाई जाती है?

हमारे सनातन हिन्दू धर्म में हम सभी नवरात्रियों से भलीभाँति परिचित है। नवरात्रि का त्यौहार प्रमुख रूप से शक्ति और शिव की उपासना के लिए होता है। शक्ति की उपासना के लिए एक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है वही शिवजी की पूजा के लिए वर्ष में एक बार शिव नवरात्रि मनाई जाती है।

शैव मतानुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से त्रयोदशी तिथि तक शिव नवरात्रि मनाई जाती है। चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। नवरात्रि प्रमुख रूप में सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों और अन्य प्रसिद्ध शिवालयों में बड़े ही उत्साह और धूम धाम से मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि भगवान् शिव के विवाह से सम्बंधित है अतः नव दिनों तक भगवान् का दिव्य उपचारो के माध्यम से श्रृंगार किया जाता है, शिवजी का दूल्हे की भाँती श्रृंगार किया जाता है। वैसे तो शिवजी को हल्दी लगाना भी वर्जित है परंतु शिवनवरात्रि में शिव जी पर हल्दी का लेपन किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान् का विवाह आयोजित होता है जिसमे उनके बरात की शोभा देखते ही बनती है। रात्रि में शिव-पार्वति विवाह संपन्न किया जाता है।

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