शिव का अर्थ क्या है?
शिव शब्द का अर्थ होता है कल्याण, अर्थात जो कल्याण करे वही शिव है। शिवजी सभी जीवो पर अकारण करुणा करने वाले है। जिन्हें कोई नहीं अपनाता उन्हें अपनाते है। अमंगल से भी अमंगल पदार्थो को अपनाते है और उनका कल्याण करते है। शिवजी आशुतोष है अर्थात कोई कितना भी बड़ा अपराध क्यों न किया हो यदि उनके सामने शरणागत हो जाता है तो वे उस पर भी कृपा कर देते है। शिवजी पशुपति है समस्त जीव जन्तुओ के स्वामी है। शिव संघारक देव है। शिव निष्काम है कामनाये उन्हें स्पर्श भी नहीं कर पाती। शिवजी परम भागवत है नित्य अपने आराध्य की साधना में लगे रहते है। शिवजी प्रबुद्ध कथा वक्ता है और नित्य अपनी अमर कथा का गान करते है।
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि शिव भक्तो का प्रमुख त्यौहार है जो प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो वर्ष में 12 शिवरात्रियां होती है पर फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का अपना विशेष महत्त्व है इस लिए इसे शिवरात्रि नहीं बल्कि महाशिवरात्रि कहते है। महाशिवरात्रि का यह उत्सव कार्तिक कृष्ण पंचमी से प्रारम्भ हो कर महाशिवरात्रि तक चलता है जिसे शिव-नवरात्रि कहते है
शिव शब्द का अर्थ होता है कल्याण, अर्थात जो कल्याण करे वही शिव है। शिवजी सभी जीवो पर अकारण करुणा करने वाले है। जिन्हें कोई नहीं अपनाता उन्हें अपनाते है। अमंगल से भी अमंगल पदार्थो को अपनाते है और उनका कल्याण करते है। शिवजी आशुतोष है अर्थात कोई कितना भी बड़ा अपराध क्यों न किया हो यदि उनके सामने शरणागत हो जाता है तो वे उस पर भी कृपा कर देते है। शिवजी पशुपति है समस्त जीव जन्तुओ के स्वामी है। शिव संघारक देव है। शिव निष्काम है कामनाये उन्हें स्पर्श भी नहीं कर पाती। शिवजी परम भागवत है नित्य अपने आराध्य की साधना में लगे रहते है। शिवजी प्रबुद्ध कथा वक्ता है और नित्य अपनी अमर कथा का गान करते है।
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि शिव भक्तो का प्रमुख त्यौहार है जो प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो वर्ष में 12 शिवरात्रियां होती है पर फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का अपना विशेष महत्त्व है इस लिए इसे शिवरात्रि नहीं बल्कि महाशिवरात्रि कहते है। महाशिवरात्रि का यह उत्सव कार्तिक कृष्ण पंचमी से प्रारम्भ हो कर महाशिवरात्रि तक चलता है जिसे शिव-नवरात्रि कहते है
मान्यता के अनुसार इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाय जाने के कई कारण है:-
1. ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आदि में आज ही के दिन भगवान् शंकर रूद्र के रूप में ब्रह्माजी के अंश से अवतार धारण किये थे अतः रूद्र के प्राकट्य के रूप में महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
2. एक मान्यता के अनुसार प्रदोष के दिन ही भगवान् शिव भयंकर तांडव नृत्य करते है और सृष्टि का प्रलय कर सम्पूर्ण सृष्टि को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते है। अतः इसे कालरात्रि भी कहा जाता है।
3. पुराणों के अनुसार आज ही के दिन भगवान् शंकर का माता पार्वति के साथ विवाह संपन्न हुआ था अतः इस रात्रि को भगवान् के विवाह उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
4 समुद्र मंथन के समय आज के ही दिन भयंकर कालकुट नाम का विष निकला था जिसे भगवान् शिवजी ने अपने कंठ में धारण कर सम्पूर्ण सृष्टि को विनाश से बचाया था।
महाशिवरात्रि में रात्रि पूजन क्यों किया जाता है?
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