स्वास्थ्य

पृष्ठ

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

शिव का अर्थ क्या है?

शिव शब्द का अर्थ होता है कल्याण, अर्थात जो कल्याण करे वही शिव है। शिवजी सभी जीवो पर अकारण करुणा करने वाले है। जिन्हें कोई नहीं अपनाता उन्हें अपनाते है। अमंगल से भी अमंगल पदार्थो को  अपनाते है और उनका कल्याण करते है। शिवजी आशुतोष है अर्थात कोई कितना भी बड़ा अपराध क्यों न किया हो यदि उनके सामने शरणागत हो जाता है तो वे उस पर भी कृपा कर देते है। शिवजी पशुपति है समस्त जीव जन्तुओ के स्वामी है। शिव संघारक देव है। शिव निष्काम है कामनाये उन्हें स्पर्श भी नहीं कर पाती। शिवजी परम भागवत है नित्य अपने आराध्य की साधना में लगे रहते है। शिवजी प्रबुद्ध कथा वक्ता है और नित्य अपनी अमर कथा का गान करते है।

महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है?

महाशिवरात्रि शिव भक्तो का प्रमुख त्यौहार है जो प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो वर्ष में 12 शिवरात्रियां होती है पर फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का अपना विशेष महत्त्व है इस लिए इसे शिवरात्रि नहीं बल्कि महाशिवरात्रि कहते है। महाशिवरात्रि का यह उत्सव कार्तिक कृष्ण पंचमी से प्रारम्भ हो कर महाशिवरात्रि तक चलता है जिसे शिव-नवरात्रि कहते है

मान्यता के अनुसार इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाय जाने के कई कारण है:-

1. ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आदि में आज ही के दिन भगवान् शंकर रूद्र के रूप में ब्रह्माजी के अंश से अवतार धारण किये थे अतः रूद्र के प्राकट्य के रूप में महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

2. एक मान्यता के अनुसार प्रदोष के दिन ही भगवान् शिव भयंकर तांडव नृत्य करते है और सृष्टि का प्रलय कर सम्पूर्ण सृष्टि को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते है। अतः इसे कालरात्रि भी कहा जाता है।

3. पुराणों के अनुसार आज ही के दिन भगवान् शंकर का माता पार्वति के साथ विवाह संपन्न हुआ था अतः इस रात्रि को भगवान् के विवाह उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

4 समुद्र मंथन के समय आज के ही दिन भयंकर कालकुट नाम का विष निकला था जिसे भगवान् शिवजी ने अपने कंठ में धारण कर सम्पूर्ण सृष्टि को विनाश से बचाया था।

महाशिवरात्रि में रात्रि पूजन क्यों किया जाता है?
महाशिवरात्रि में शिव जी का पूजन रात्रि में किया जाता है इसका प्रमुख कारण यह है की महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। कृष्ण पक्ष होने के कारण रात्रि अंधकार से युक्त होती है अतः इस रात्रि को कालरात्रि भी कहते है। भगवान् शंकर संघारक देव है साथ ही वे तमोगुण के अधिष्ठाता है, शिवजी चतुर्दशी तिथि के स्वामी भी है अतः उनकी उपासना रात्रि में ही की जाती है।

शिवजी को इस दिन अर्पित करे?

शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में इन वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए
1 शिव लिंग का पानी, दूध, दही, घी, शर्करा और शहद के साथ अभिषेक यह मन की शान्ति प्रदान करता है।
बेर या बेल के पत्ते अर्पित करे जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
3 स्नान के बाद शिव लिंग को सिन्दुर लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है।
4 ऋतुफल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं।
5 जलती धूप जो धन, उपज(अनाज)।
6 दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है।
7 पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं।


यह भी पढ़े:-

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें