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रविवार, 26 फ़रवरी 2017

शिवजी नीलकंठ क्यों कहलाये?

देवताओ और असुरो ने मिल कर जब समुद्र मंथन किया तब सबसे पहले उसमे से कालकुट विष निकला। देवताओ और दानवो सहित सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में खलबली मच गई। सभी देवताओ ने मिलकर शिव जी से इस संकट से बचाने के लिए प्राथना की तब भगवान् शिवजी ने राम नाम का आश्रय लेकर विष को ग्रहण किया और अपने कंठ में विष को स्थापित कर लिए। विषपान करने के कारण भगवान् शिवजी जिनका वर्ण कर्पूर के सामान गोरा है उनके कंठ का रंग नीला पड़ गया और नीलकंठ कहलाये। नीलकंठ होने के बाद स
वजि की शोभा और बड़ गई कपूर के सामान गोर श्रीअंग में नीला कंठ मानो नीलमणि के सामान सुशोभित होने लगा।


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