जब देवताओ और दानवो ने मिलकर समुद्र मंथन किया तब उसमे सबसे पहले कालकुट विष निकला और अंत में अमृत निकला। कालकुट का पान भगवान् शिवजी ने किया और अमृत का पान इन्द्र आदि देवताओ ने किया।
क्योकि देवताओ ने अपने स्वार्थ के लिए स्वर्ग के सुख भोगने और अमरत्व प्राप्त करने के लिए अमृत का पान किये इसलिए वे देव कहलाय परंतु भगवान् शिवजी ने लोक कल्याण और लोक रक्षा के लिए विष का पान किये अतः वे सभी देवतावों से श्रेष्ठ देवो के देव महादेव कहलाय।
"जो अमृत पिए वो देव, जो विष पिए वो महादेव"
"जो अमृत पिए वो देव, जो विष पिए वो महादेव"
परमार्थ का स्थान हमेशा स्वार्थ से ऊपर रहता है देवता अपना स्वार्थ देखे और शिवजी ने परमार्थ किया अतः महादेव सभी देवताओ से श्रेष्ठ हुए।
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