भगवान् के दो मुख है- ब्राह्मण और अग्नि।
ब्राह्मण :- ब्राह्मणों की उत्पत्ति भगवान् के मुख से हुई है अतः ब्राह्मण भगवान् के मुख स्वरुप है। यही कारण है की किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में ब्राह्मण भोज की परंपरा है। ब्राह्मणों को भोजन कराना भगवान् को भोजन कराने सामान है। ब्राह्मण को भोजन कराकर तृप्त करना भगवान् को तृप्त करना होता है।
अग्नि:- पञ्च तत्वों में अग्नि की उत्पत्ति भगवान् के मुख से हुई है। भगवान् को हवन अनुष्ठान में अग्नि के मुख में आहुति डाल कर खाद्य अर्पित किये जाते है। भगवान् ने यज्ञ नारायण के रूप में भी अवतार धारण किया है।
यह भी पढ़े:-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें