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शुक्रवार, 10 मार्च 2017

भगवान् की कृपा कहाँ ठहरती है?

वर्षा जब होती है तब सभी स्थानों पर सामान रूप से होती है चाहे वह नदी हो, पहाड़ हो, खाई हो पर वर्षा का जल पहाड़ो पर नहीं ठहरता क्योकि पहाड़ विशाल उचाई धारण किये हुए होते है और उनकी संरचना ऐसी होती है की जल वहा नहीं ठहर सकता। पर यदि कोई गहरा स्थान हो खाई हो वहा जल आसानी से एकत्रित हो जाता है।

इसी प्रकार भगवान् भी अपनी कृपा सभी जीवो पर समान रूप से बरसाते है पर जो जीव गर्व और अहंकार से पर्वत की भाति खड़े होते है उन जीवो को भगवान् की कृपा प्राप्त नहीं होती। दूसरी तरफ जिन जीवो के पास अभिमान रहित अंतर्मन रुपी पात्र होता है बस वही पर भगवान् की कृपा ठहर जाती है। 

अतः जीव को अहंकार का त्यागकर अपने अंतर्मन में भगवान् की कृपा प्राप्त करने के लिए अपने अंतर्मन रुपी पात्र को विकार रहित और निर्मल बनाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि जब भगवान् की कृपा की वर्षा हो तो वह हमारे अंतर्मन में एकत्रित हो सके।

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