स्वास्थ्य

पृष्ठ

रविवार, 19 मार्च 2017

श्रीराम कृपा चेतन को जड़ और जड़ को चेतन बना देती है जाने कैसे!!

श्रीराम सर्वसमर्थ है उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।मानस में गोस्वामीजी ने लिखा है:-

जो चेतन कहँ जड करइ जडहि करइ चैतन्य । 

अर्थात श्रीराम जड़ को चेतन और चेतन को जड़ कर सकते है। श्रीराम के इस दिव्य शक्ति का वर्णन बालकाण्ड के धनुष भंग वाले प्रसंग में मिलता है। श्रीराम ने जब जनकजी के द्वारा बनाय गए स्वयंवर के नियम अनुसार धनुष को अपने बायें हाथ से उठा लिए और जैसे ही उस पर प्रत्यंचा चढाना चाहा तो धनुष खण्डित हो गया इस पर क्रुद्ध होकर भगवान् परशुराम का आगमन हुआ और परशुराम-लक्ष्मण और परशुराम-श्रीराम संवाद हुआ। इसी बीच जब परशुराम जी अत्यंत क्रोधित हुए तब उन्होंने स्वयं कहा:-

"बहइ न हाथु दहइ रिस छाती। भा कुठारु कुंठित नृपघाती॥"

अर्थात परशुरामजी कहते है की इस समय मेरे ह्रदय में अत्यंत क्रोध छाया हुआ है और इस क्रोध से मेरी छाती जली जा रही है पर फिर भी अनेक राजाओ का वध करने वाले मेरे ये हाथ कुण्ठित हो चले है। इस प्रकार श्रीराम के रूप और उनके वचनो से परशुराम जी का चेतन हाथ जड़ की भाँति हो गया।

इसी प्रकार जब अपने शंका का समाधान करने के लिए परशुरामजी ने अपने धनुष में बाण का संधान करने को श्रीराम से कहा तब:-

"देत चापु आपुहिं चलि गयऊ। परसुराम मन बिसमय भयऊ॥"

धनुष को ना ही परशुरामजी ने श्रीराम को दिया और ही श्रीराम परशुरामजी के पास धनुष लेने आये बल्कि धनुष अपने आप ही परशुरामजी के हाथो से निकालकर श्रीराम के हाथो में चला गया जिसे देखकर परशुरामजी भी आश्चर्य चकित हो गए अर्थात जड़ प्रवृत्ति का वह धनुष चेतन हो गया।

इसप्रकार स्पष्ट है की भगवान् श्रीराम ने कैसे परशुरामजी के चेतन हाथो को जड़ बना दिया और एक जड़ धनुष को चैतन्यता आ गई। यह सभी श्रीराम की ही रूप गुण और महिमा का चमत्कार है 


यह भी पढ़े:-

भगवान् के खिलौने कौन है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें