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सोमवार, 20 मार्च 2017

इला नामक कन्या कैसे सुघुम्न नामक पुत्र बनी!!

सूर्य वंश में विवश्वान (सूर्य) के पुत्र हुये श्राद्धदेव मनु। उनकी  पत्नी का नाम था श्रद्धा देवी। उनकी कोई नहीं थी तब उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से प्रार्थना की तब महर्षि ने यज्ञ का आयोजन किया। राजा चाहते थे की उनके पुत्र हो और रानी चाहती थी क़ि पुत्री हो। 

जब यज्ञ प्रारम्भ हुआ तब रानी ने यज्ञ करने वाले होताओ को प्रणाम पुरुवक प्रार्थना कर कन्या प्राप्ति की अभिलास व्यक्त की तब होताओ ने पुत्री प्राप्ति हेतु यज्ञ में आहुति दी। रानी गर्भ से हुई और उन्होंने एक कन्या को जन्म दिया।कन्या का नाम इला रखा गया।  

कन्या के जन्म से रानी तो बहुत खुस थी पर राज दुखी हो गए और महर्षि वशिष्ठ के पास गए। महर्षि ने यज्ञ करने वाले होता ब्राह्मणों को बुलवा कर पूछा तब उन्होंने बता दिया की रानी के कहने पर हमने ऐसा किया। फिर राज श्राद्धदेव महर्षि वशिष्ठ से प्राथना करने लगे कि  हे महर्षि आपने मुझे पुत्र प्रदान करने के लिए यह यज्ञ प्रारम्भ कराया था परंतु इसका विपरीत फल प्राप्त हुआ है। आप कृपा कीजिये और मुझे पुत्र की प्राप्ति कराइये। 

महर्षि ने कहा की यह संभव नहीं है परंतु जब राज ने बहुत आग्रह किया की हे गुरुदेव यदि आप चाहे तब ये कन्या ही पुत्र हो जायगा  तब उन्होंने उस कन्या को भगवान् की स्तुति कर पुत्र बना दिया जिसका नाम आगे चल कर सुघुम्न हुआ। तो इस प्रकार भगवान् की कृपा से महर्षि वशिष्ठ ने इला नाम की कन्या को उसी जन्म में सुघुम्न नाम का बालक बना दिया।

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