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शुक्रवार, 24 मार्च 2017

मानस के सुन्दरकाण्ड का नाम तुलसीदास जी ने सुन्दरकाण्ड क्यों रखा?

मानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की जिसमे सात काण्ड है। गोस्वामीजी ने प्रायः सभी कांडो के नाम किस घटना या स्थान विशेष को ध्यान में रखते हुए दिया है। लंका नागरी त्रिकुटाचाल नामक स्थान पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचाल में त्रि का मतलब तीन और अकुटाचाल का अर्थ पर्वत माला होता है अर्थात तीन पर्वत मालाओं में बसा हुआ। लंका तीन पर्वत मालाओ से घिरा हुआ था जो थे:- सुबेल, नील और सुन्दर।

सुबेल नामक पर्वतमाला में रामायण का युद्ध हुआ था। नील नामक पर्वत माला में रावण की लंका पूरी बसी हुई थी। और सुन्दर नामक पर्वत में अशोक वाटिका बसी हुई थी।

हनुमानजी जब सीता माता की खोज में लंका गए तो अपना अधिकांस समय अशोक वाटिका में ही व्यतीत किया। जिसमे रावण-सीता संवाद सुनना, त्रिजटा-सीता संवाद सुनना, माता सीता के सामने प्रकट हो कर प्रभु श्रीराम का सन्देश देना, वाटिका में उपद्रव करना और रावण के विकट राक्षसो सहित रावण पुत्र अक्षय कुमार का वध करना आदि शामिल है। इस प्रकार ये सारी घटनाएं उस सुन्दर पर्वत स्थित अशोक वाटिका में हुई अतः गोस्वामी जी ने इस काण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड रखा।


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