रामायण काल में विभीषण जी एक बहुत प्रमुख पात्र है। विभीषण जी की एक पत्नी थी जिनका नाम था सरमा। सरमा एक गन्धर्व कन्या थी। विभीषण और सरमा की एक पुत्री थी जिसका नाम त्रिजटा था। विभीषण की ही भाति दोनों माँ-बेटी श्रीराम की अनन्य भक्त थी। जिस प्रकार युद्ध के समय विभीषण ने लंकापति रावण के अनेक भेद बता कर श्रीराम की सहायता की थी उसी प्रकार विभीषण की पत्नी सरमा और पुत्री त्रिजटा ने भी माता सीता की सहायता की थी आइये जाने कैसे:-
रावण माता सीता के प्रति आशक्त था और उनसे विवाह करके उन्हें अपनी रानी बनाना चाहता था। इस प्रयोजन को पूर्ण करने के लिए वह अनेक प्रकार की यातनाये माता सीता को दिया करता। परंतु माता सीता की पति के प्रति निष्ठा और समर्पण ने रावण के इस प्रयोजन को विफल बना दिया।
अंत में रावण को एक योजना सूझी की क्यों न अपनी माया से एक कटा हुआ श्रीराम का शीश सीता के सामने रख दिया जाय और उसे यह बताया जाय की राम युद्ध में मारा गया तब निश्चय ही वह राम के प्रति अपने मोह को त्याग कर मुझे स्वीकार कर लेगी। रावण की सारी योजना का पता विभीषण पत्नी सरमा को चल गया और इसके पहले की रावण अपनी माया से यह भ्रम फैलाता सरमा ने जा कर सारा वृत्तांत सीता माता को सूना दी ताकि जब रावण श्रीराम के कटे हुए शीश को लेकर आये तब सीता माता विचलित न हो। तो इस प्रकार विभीषण पत्नी सरमा ने माता सीता की सहायता की।
विभीषण की पुत्री का नाम था त्रिजटा। जब रावण माता सीता का हरण करके लाया तब उन्हें अपनी अशोक वाटिका में एक वृक्ष के नीचे रक्खा था। उस अशोक वाटिका में जितनी राक्षसी थी उनमे प्रधान त्रिजिता थी। जब तक माता सीता अशोक वाटिका में रही त्रिजटा ने उन्हें अपनी पुत्री की भाँती रक्खा और माता सीता भी उन्हें माता कह कर संबोधित करती थी। त्रिजटा हमेशा माता सीता का मनोबल बढाती थी।
एक बार माता सीता अपने प्राण त्यागने को उद्धत हो गई तब त्रिजटा ने अपने स्वप्न के बारे में बताया की 2-4 दिनों में ही एक राम दूत वानर यहाँ आयेगा और सारी अशोक वाटिका को उजाड़ कर पूरी लंका पूरी को आग से जला देगा साथ ही तेरी सुचना राम को जा कर देगा। त्रिजटा के इन वचनो को सुन कर माता सीता को फिर से आस बंधी उन्होंने अपना धैर्य पुनः प्राप्त किया।
इस प्रकार विभीषण जी अपने पत्नी और बेटी सहित श्रीराम जी की प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में समय समय पर सहायता किए।
Trijata ko to Sitaji ne Mata kaha hai
जवाब देंहटाएंFir itani adhik umra ki mahila Vibhishan ki putri kaise ho sakati hai