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सोमवार, 6 मार्च 2017

तन, मन और धन का समर्पण कहाँ होना चाहिए?

संसार में उत्पन्न प्रत्येक जीव कर्म बंधनो से बंधा हुआ होता है और उसे कही न कही अपने तन, मन और धन को लगाना होता है। हमारे सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार तन, मन और धन की सार्थकता निम्न स्थानों में लगाने से होती है:-

1 तन- जीव को चाहिए की वह अपने तन का समर्पण राष्ट्र, समाज और देश सेवा और नवनिर्माण में लगाये क्योकि इस मानव शरीर का पालन पोषण राष्ट्र और समाज के द्वारा ही होता है।

2 धन- जाव को चाहिए की अपने धन को परिवार के जीविका निर्वहन में लगाये क्योकि परिवार उस पर ही आश्रित होता है अतः धर्मोपार्जित धन का अर्जन कर जीव को अपने परिवार का भरण पोषण, अतिथियों के सेवा एवं परमार्थ के कार्यो में लगाना चाहिए।

3 मन- जीव को अपने मन का समर्पण परमात्मा में करना चाहिए क्योकि यह मानव देह भगवान् का ही दिया हुआ है अतः उनके चरणों में अपने मन को लगा कर उनकी निष्काम भक्ति करना चाहिए और अपना आत्मकल्याण करना चाहिए।

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