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सोमवार, 24 अप्रैल 2017

भगवान् परशुराम के श्राप के कारण हुई थी कर्ण की मृत्यु!!

महाभारत काल में एक प्रमुख पात्र हुए थे कर्ण। वस्तुतः कर्ण कुन्ती के पुत्र थे परंतु उनका लालन पालन एक सूत दंपत्ति ने किया। कर्ण भगवान् परशुराम से शिक्षा प्राप्त किया था और पितामह भीष्म और गुरु द्रोण की भाँती अजेय था। अर्जुन सहित पांडवो में इतना सामर्थ नहीं था की वे कर्ण को युद्ध में परास्त कर सकते। भगवान् परशुराम ने कर्ण को उसके विद्या प्राप्त करते समय श्राप दिया था जिसके कारन उसकी मृत्यु हो सकी थी।

 कर्ण बचपन से ही महान योद्धा बनना चाहता था और उसमे प्रतिभा भी बहुत थी। कर्ण ने सोचा क़ि इस समय धरती पर सबसे योग्य गुरु यदि कोई है तो वो है भगवान् परशुराम। यदि उनका शिष्य बन कर विद्या प्राप्त की जाए तो कोई भी योद्धा उसका मुकाबला नहीं कर सकेगा।


 ऐसा मन में विचार कर कर्ण ने भगवान् परशुराम से ज्ञान प्राप्त करने की ठान ली। परंतु कर्ण के विद्या प्राप्त करने में एक रुकावट थी। भगवान् परशुराम केवल ब्राह्मणों को ही शिक्षा देते थे क्षत्रियो को नहीं। अतः कर्ण ने ब्राह्मण का एक छदम् वेश बनाया और उनके पास पहुच गया। 



भगवान् परशुराम ने देखा की ब्राह्मण बालक है और विद्या प्राप्त करने आया है तो अपने आश्रम में कर्ण को प्रवेश देकर अन्य विद्यार्थियो के साथ विद्या प्रदान करने लगे। कर्ण बहुत प्रतिभाशाली छात्र था अतः भगवान् परशुराम ने उसे सारी विद्याएँ प्रादान कर दी। कर्ण को ब्रह्मास्त्र सहित समस्त दिव्य अस्त्रों का ज्ञान प्राप्त हो गया।



एक दिन की बात है मध्यान्ह का समय था, भगवान् परशुराम ने विश्राम करने की इच्छा व्यक्त की। गर्मी का मौसम था धुप तेज थी और आश्रम दूर था अतः वैन में ही एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे। भगवान् परशुराम कर्ण के गोद में सर रख कर आराम करने लगे। कर्ण उनको पंखा करने लगा। कुछ समय बाद एक जहरीला कीड़ा कर्ण के शरीर में चढ़ गया और डंक मारने लगा। कर्ण को इस बात का अहसास हो गया था पर अपने गुरु की निद्रा में विघ्न न हो अतः वह सारी पीड़ा सहता रहा। 



कुछ समय बाद कर्ण के शरीर से रक्त बहने लगा। रक्त की गंध से भगवान् परशुराम की नींद खुल गई और कर्ण के गोद से उठ कर बैठ गए और कर्ण ने तुरंत उस कीड़े को अपने शरीर से हटाया। परशुराम ने देखा की कर्ण इस जहरीले कीड़े के दंश को इतने समय तक कैसे सहता रहा क्योकि एक ब्राह्मण में इतनी सहन शक्ति नहीं होती है उन्होंने कर्ण से वास्तविक्त पूछी तब कर्ण ने अपनी वास्तविक्ता बताई। इस पर भगवान् परशुराम ने क्रोधित हो कर कर्ण को श्राप दे दिया कि - हे कर्ण तूने मुझे धोखा दे कर गलत तरीके से मुझ से ज्ञान प्राप्त किया है तो जा जिस समय तुझे इस शक्ति की सबसे ज्यादा आवश्यकता होगी उस समय तू सारी विद्याएँ भूल जायगा।


कालान्तर में महाभारत का युद्ध हुआ जिसमे कर्ण ने कौरवों की तरफ से पांडवो के विरुद्ध युद्ध किया। जिसमे कर्ण जब सेनापति बना तब उसने पांडवो की सेना का भीषण संघार किया। जब अर्जुन-कर्ण का युद्ध हो रहा था तब दोनों एक दूसरे पर बराबर भारी पड़ रहे थे जब कारण ने देखा की अर्जुन का वध किसी एनी अस्त्र शस्त्र द्वारा संभव नहीं है तब कर्ण ने अर्जुन का वध करने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाना चाहा तब भगवान् परशुराम के श्राप के अनुसार उसे ब्रह्मास्त्र के संधान करने की विद्या विस्मृत हो गई और अर्जुन ने कर्ण का वध किया। 

इस प्रकार भगवान् परशुराम ने ही कर्ण को एक महान योद्धा बनाया और उन्ही के श्राप के कारण अर्जुन कर्ण का वध कर सका।

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