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रविवार, 30 अप्रैल 2017

भगवान् परशुराम ने हैहयवंशी सहस्त्रार्जुन का वध क्यों किया?

भगवान् परशुराम जमदग्नि ऋषि के पुत्र है। जमदग्नि ऋषि नर्मदा के तट पर बसे माहिष्मती साम्राज्य के राजा कार्तिवीर्य के पुरोहित थे। कार्तिवीर्य और जमदग्नि के बीच मधुर सम्बन्ध थे। कार्तिवीर्य का एक पुत्र था अर्जुन जिसे कार्तिवीर्य का पुत्र होने के कारण उसे कार्तिवीर्य अर्जुन कहा जाता है। कार्तिवीर्य अर्जुन ने भगवान् दत्तात्रेय की उपासना कर सहस्त्र भुजाएँ प्राप्त कर ली थी इसलिए उसे सहस्त्रार्जुन कहा जाने लगा और बहुत अधिक बलशाली हो गया था।

 एक बार की बात है सहस्त्रार्जुन शिकार खेलने वन को गया वहा शिकार करते करते वह थक गया और उसे भूख प्यास सताने लगी। सहस्त्रार्जुन ने आस पास पानी की तलाश करते हुए जमदग्नि ऋषि की कुटिया में पहुच गया। जमदग्नि ऋषि ने देखा की राजा कार्तिवीर्य का पुत्र आया हुआ है तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन का राजसी सत्कार किया।

 सहस्त्रार्जुन को यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ की इस कुटिया में निवास करने वाले ऋषि ने उसका इस प्रकार से राजसी सत्कार कैसे किया। उसने जब ऋषि से पूछा तब उन्होंने बताया की यह सब चमत्कार माता कामधेनु का है जिसे इन्द्र ने उन्हें दान किया था।

 सहस्त्रार्जुन ने जब यह जाना की कामधेनु के चमत्कार से सब कार्यो की सिद्धि की जा सकती है तब उसने कामधेनु को बल पूर्वक छिन कर अपने महल ले गया। जब परशुराम कुटिया पहुचे तब जमदग्नि ऋषि ने सारा वृत्तांत उनसे कहा। 

क्रोध से भरे हुए भगवान् परशुराम ने अकेले ही सहस्त्रार्जुन और उसकी सेना पर हमला कर दिया और युद्ध में उसके सारे सेना का विनाश कर सहस्त्रार्जुन के हजार भुजाओ को अपने परशु से काट काट कर उसका वध कर दिया और कामधेनु को पुनः जमदग्नि ऋषि के कुटिया में स्थापित किया। 

इसके बाद सहस्त्रार्जुन के पुत्रो ने अपने पिता के मृत्यु का बदला लेने के लिए चुपचाप जमदग्नि ऋषि के कुटिया में प्रवेश कर उनकी ह्त्या कर दी। जब यह बात उनकी पत्नी रेणुका को पता चली तब वे विलाप करने लगी और अपने पति के साथ शती हो गई। 

भगवान् परशुराम ने जब यह जाना की सहस्त्रार्जुन के पुत्रो ने उनके पिता की ह्त्या की है तब उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रिय विहीन करने का प्रण लिया और कालान्तर में सभी हैहयवंशी राजाओ का वध किया और अपने पिता की मृत्यु का प्रतिशोध लिया। भगवान् परशुराम ने समस्त क्षत्रिय नहीं अपितु केवल हैहयवंशी क्षत्रिय और उनके सहयोगी क्षत्रियो का ही विनाश किया।

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