पूजा के समय क्यों, कैसे, और कितनी बार करे परिक्रमा?
परिक्रमा क्यों करे ?
हमारे हिन्दू धर्म में पूजा करते समय देवी-देवताओं की परिक्रमा करने का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है भगवान की परिक्रमा से अक्षय पुण्य मिलता की प्राप्ति होती है और मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं। परिक्रमा के पीछे धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। जिन मंदिरों में पूरे विधि-विधान के साथ देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित की होती है, वहां मूर्ति के आसपास दिव्य शक्ति के रूप में सकारात्मक ऊर्जा हमेशा सक्रिय रहती है। मूर्ति की परिक्रमा करने से वहाँ की सकारात्मत शक्ति से हमें भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इस ऊर्जा से मन शांत होता है। परिक्रमा करते समय ध्यान रक्खे की जिस दिशा में घड़ी की सुई घुमती है, उसी दिशा में परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि दैवीय ऊर्जा का प्रवाह भी इसी प्रकार रहता है।
परिक्रमा कैसे करे ?
परिक्रमा करते समय जिस देवी या देवता की परिक्रमा की जा रही है उनके मंत्र या नाम का जाप करना चाहिए।
परिक्रमा करते समय मन में बुराई, क्रोध या तनाव नहीं होना चाहिए I
परिक्रमा के समय किसी से बात नहीं करना चाहिए।
शांत मन से परिक्रमा करनी चाहिए।
घडी के घूमने की दिशा में परिक्रमा करनी चाहिए।
जिस देवी-देवता की परिक्रमा कर रहे है उनका स्वरुप ध्यान मन में करना चाहिए।
किस देवी-देवता की कितनी बार करे परिक्रमा ?
हिन्दू धर्म के अनुसार मुख्यतः पञ्च देवो की पूजा का विधान है अतः इस पांचो के परिक्रमा का भी विधान किया गया है।
शिव: शिव जी की केवल आधी परिक्रमा करनी चाहिए। शिव लिंग में बने जलहरी के जल को नहीं लांघना चाहिए।
देवी: देवी माँ के विभिन्न अवतारो की केवल एक बार परिक्रमा करनी चाहिए।
गणेश: गणेश जी की 3 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
विष्णु: भगवान् विष्णु और उनके अवतारो की 4 बार परिक्रमा का विधान है।
सूर्य: सूर्य नारायण की 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
हम पूजन तो नित्य करते है पर परिक्रमा करते समय इन बातो का ध्यान नहीं रखते की किस देवता की कितनी बार और कैसे परिक्रमा करते है, तो आप जब कभी परिक्रमा करने जाए तो इन बातो का ध्यान अवश्य रखे।
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