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शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

मोक्ष की चाबी क्या है?

हमारे सनातन हिन्दू धर्म में चार पुरुषार्थ बताय गए है-धर्म , अर्थ, काम, और मोक्ष। जिसमे आखिरी पुरुषार्थ है मोक्ष। एक बार जीव मोक्ष प्राप्त कर ले फिर जीवन-मृत्यु के इस चक्कर से छुटकारा मिला जाता है। मोक्ष के द्वार पर भगवत भक्ति रुपी ताला लगा हुआ होता है जिसे जीवात्मा को चौरासी लाख योनि रुपी चाबी में से किसी एक चाबी से खोलना होता है, परंतु भक्ति रुपी वह ताला मनुष्य योनि रुपी चाबी से ही खुलती है, क्योकि अन्य जितनी योनियाँ है वो सभी भोग योनियाँ है मनुष्य योनि ही कर्म योनि है जिसमे जीव भगवान् की भक्ति कर मोक्ष के द्वार पर लगे ताले को खोल सकता है। 

यदि कोई जीव इस मनुष्य योनि रुपी चाबी को प्राप्त कर भी ताला नहीं खोल पाया तो उस से बड़ा अभागा कोई नहीं है, क्योकि जिस प्रकार चाबी प्राप्त करने के बाद ताला खोलने के लिए चाबी को थोड़ा मोड़ना पड़ता है उसी प्रकार मनुष्य योनि प्राप्त कर भी जीव को अपनी इन्द्रिय, मन, बुध्दि को 
संसार की तरफ से हटा कर भगवान् की तरफ मोड़ना पड़ता है तब जा कर मोक्ष के द्वार का ताला खुलता है।

 इसीलिए मनुष्य योनि की महिमा गाते हुए गोस्वामीजी ने कहा है की:-

"बड़ें भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा॥
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा। पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥"

देवताओ को भी दुर्लभ यह मनुष्य की योनि बड़े भाग्य वालो को मिलती है और जो इस मनुष्य योनि को प्रात कर भगवत प्राप्ति न कर सके उससे बड़ा अभागा दूसरा कोई नहीं।

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