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बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

भगवान् किनका पक्ष लेते है?

मानस के किष्किन्धा काण्ड में श्रीराम-हनुमान का जब मिलन हुआ तब भगवान् ने यह बात स्वीकार की है की वो पक्ष लेते है:-

"समदरसी मोहि कह सब कोऊ। सेवक प्रिय अनन्य गति सोऊ।।"

श्रीराम कहते है की हे हनुमान मुझे सारी दुनिया समदर्शी काहती है की मै किस का पक्ष नहीं लेता सभी को सामान दृष्टि से देखता हूँ। पर वास्तव में मैं अपने भक्तो का पक्ष लेता हु क्योकि मेरे जो भक्त होते है वो अपना सर्वश्व मुझे अर्पित कर देते है और उनकी रक्षा और उनपर कृपा करने के लिए मुझे उनका पक्ष लेना पड़ता है। इस प्रकार भगवान् अपने कृपा पात्र अनन्य भक्तो का पक्ष ले कर उनका कल्याण करते है।



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