भगवान् अपने से ज्यादा अपने भक्तो को प्रेम करते है। मानस में गोस्वामी जी कहते है क़ि:-
राम रोष पावक सुर जरइ।।
भगवान् अपने प्रति किये गए अपराध को तो क्षमा कर देते है पर यदि कोई उनके भक्त का अपमान अथवा भक्त का कोई अपराध कर दे तो भगवान् उसे कभी क्षमा नहीं करते।
जिस प्रकार माँ अपने प्रति किये गए अपराध को तो क्षमा कर देती है पर यदि कोई उसके बच्चे को नुकशान पहुचाये तो वो उसे क्षमा नहीं करती उसी प्रकार भगवान् भी अपने भक्त की रक्षा करते है।
आपने राज अमरीश की कथा सुनी होगी जिसमे दुर्वाशा ऋषि को भगवान् के कोप से स्वयं भगवान् भी नहीं बचा पाय थे और अंत में जब अमरीश ने उन्हें क्षमा किया तब सुदर्शन से दुर्वाशा ऋषि की रक्षा हो सकी थी।
अतः यदि कभी हमसे भगवान् के प्रति यदि कोई अपराध हो भी जाय तो हमें भगवान् क्षमा कर दे पर किसी भक्त का अपमान हुआ तो भगवान् कभी क्षमा नहीं करते।
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