स्वास्थ्य

पृष्ठ

गुरुवार, 9 मार्च 2017

भव-रोग की मीठी दवा क्या है?

चिकित्सा शास्त्र में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाय तो प्रमुख रूप से तीन प्रकार की दवाएँ प्रचलित है:- एलोपैथी, आयुर्वेदिक और होम्योपैथी।

 एलोपैथी दवा में रिएक्शन का डर होता है, आयुर्वेदिक दवा होती तो प्रभावशील है पर मुंह कड़वा कर देती है और अंत में होम्योपैथी जिसमे हर दो-दो घंटे में मीठी-मीठी गोलियाँ लेते जाओ और बीमारी दूर भगाओ।

इसी प्रकार इस भवसारग रुपी रोग की भी तीन प्रकार के उपचार के साधन होते है:- योग, ज्ञान और भक्ति। योग एलोपैथी दवा है यदि थोडा भी योगाशन में गड़बड़ी की तो हाथ-पैर टूटने का डर होता है। ज्ञान आयुर्वेदिक दवा की भाति है जिसमे अभिमान या अहंकार आने का डर होता है। आखिर में भगवत भक्ति जो होम्योपैथी दवा है जिसे ग्रहण करके जीव इस भव रोग से मुक्त हो सकता है। भगवत भक्ति भाव रोग की मीठी दवा है जिसमे न ही कोई शारीरिक कष्ट होता है न ही अभिमान आने का डर होता है बस भगवान् का नाम संकीर्तन करते जाओ और इस भव रुपी रोग से मुक्त हो जाओ।


यह भी पढ़े:-

भगवान् के खिलौने कौन है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें