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शनिवार, 31 दिसंबर 2016

श्रीराम नाम से नवधा भक्ति की प्राप्ति होती है!!!

मानस में गोस्वामी जी अरण्यकाण्ड में वर्णन करते है कि जब श्री राम को वनवास हुआ तब प्रभु माता शबरी को दर्शन देने उनकी कुटिया तक गए और उनसे कहने लगे:-

"नवधा भगति कहउँ तोहि पाही।
सावधान सुनु धरु मन माहीं।।"

मै तुझे आपनी नवधा भक्ति कहता हु तू सावधान हो कर सुन और मन में धारण कर और प्रभु श्रीराम नवधा भक्ति का वर्णन करने लगे और वर्णन करने के बाद अंत में प्रभु ने कहा की:-

"सकल प्रकार भगति दृढ़ तोरे।।"

तुझ में इन सभी प्रकारि की भक्ति दृढ़ है। 

अब प्रशन यह उठता है की शबरी को तो पता ही नहीं था की नवधा भक्ति क्या होती है फिर उसके भीतर नवधा भक्ति कहा से आ गई?  किसके प्रभाव से आ गई? 

संत निर्णय करते है कि यह सभी राम नाम के प्रभाव से हुआ। माता शबरी निरंतर राम नाम का जप किया करती थी और अपने प्रभु श्री राम के आने का दृढ़ विशवास मन में रखते हुए उनकी प्रतीक्षा करती थी। माता शबरी के इसी राम नाम का प्रभाव था की उनके भीतर नवधा भक्ति जाग्रत हुई और श्रीराम वन के अन्य ऋषि मुनियो के आश्रम को छोड़ कर पहले शबरी की कुटिया में गए।



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