शास्त्र में क्षौर कर्म के लिए निम्न क्रम निर्धारित किया गया है। पहले दाढ़ी दाहिनी ओर से पूरी बनवा ले, फिर मुछ तब बगल के बाल फिर सिर के बालो को और अंत में आवश्यकतानुसार अन्य रोमो को कटवाना चाहिए। अन्त में नख कटवाने का विधान है।
एकादशी, चतुर्दशी, अमावश्या, पूर्णिमा, संक्रांति, व्यतिपात, विष्टि(भद्रा), व्रत के दिन, श्राद्ध के दिन मंगलवार और शनिवार को क्षौर कर्म नहीं कराना चाहिए।
रविवार को क्षौर कर्म कराने से एक मास की, शनिवार को सात मास की,भौमवार को आठ मास की आयु को उस उस दिन के अभिमानी देवता क्षीण कर देते है।
इसी प्रकार बुधवार को क्षौर करने से पांच मास की, सोमवार को सात मास की, गुरुवार को दस मास की और शुक्रवार को ग्यारह मास की आयु की वृद्धि उस उस दिन के अभिमानी देवता कर देते है।
पुत्र की इच्छा रखने वाले को सोमवार को और लक्ष्मी के इच्छा रखने वाले को गुरुवार को क्षौर नहीं कराना चाहिए।
बहुत बहुत बहुत ही बढ़िया लिखे हैं।*****
जवाब देंहटाएंमतलब दाड़ी बनवाना ही नहीं है
जवाब देंहटाएंPahale main jab kabhi bhi mauka milta tha .tab his ye karma karwa let a tha .ab age se in baaton ka dyan rakhunga. .bahut bahut danyawad sir..marg Darshan keep liye. ..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत ही बढ़िया लिखे हैं।*****
जवाब देंहटाएंnamste pandit g
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