आइये जाने तुलसी पति शालग्राम भगवान् के बारे में!!
गण्डकी नदी में मुनि वेदशिरा के शाप से शीला रूपी विष्णु मिलते है।
आँवले के फल के बराबर चिकनी, श्याम वर्णा तथा चक्र से युक्त शीला शुभ है।
खंडित, टूटीफुटी, रूखी, लाल व नीले रंग की शिला अशुभ है।
शाल ग्राम विष्णु की पूजा करने से राजसूय यज्ञ का फल मिलता है।
स्त्रियों, शुद्रो व पतितो को शाल ग्राम पूजा का अधिकार नहीं है। दो शाल ग्राम का पूजन निषेध है।
शाल ग्राम को बेचना नहीं चाहिए।
बारह या सौ शालग्राम शिलाओं का पूजन करने वाला चक्रवर्ती सम्राट जैसा यशस्वी होता है।
तुलसी दल के द्वारा शालग्राम की पूजा करनी चाहिए।
शाल ग्राम के साथ द्वारावती से उत्पन्न चक्रों की उपासना करनी चाहिए।
लक्ष्मी जो ने वृंदा को शाप दिया की तू पौधा हो जा। तो भगवान् विष्णु ने कहा की जब हमारी प्रियतम पौधा बन गई है, तो मै पत्थर बन जाऊँगा और उसे अपने सिर पर धारण करूँगा।
देवोत्थानी एकादशी को तुलसी शालग्राम विवाह करने की प्रथा है।
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अद्भुत है।*****
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